Mangalwani

अंतर में आत्मा मंगलस्वरुप है. आत्मा का आश्रय करनेसे मंगल स्वरुप पर्याय प्रगट होंगी. आत्मा ही मंगल, उत्तम और नमस्कार करने योग्य है – इस प्रकार यथार्थ प्रतीति कर और उसीका ध्यान कर तो मंगलता एवं उतमता प्रगट होगी. – पूज्य बहिन्श्री

— – पूज्य बहिन्श्री